स्वप्न का उपवन इसी से शुष्क होकर भी हरा है। स्वप्न का उपवन इसी से शुष्क होकर भी हरा है।
हाँ,तेरी आँखों का काजल मुझे घायल कर जाता है. हाँ,तेरी आँखों का काजल मुझे घायल कर जाता है.
मन के दर्पण में महक उठा मेरा जीवन। मन के दर्पण में महक उठा मेरा जीवन।
कैसे मनाऊँ रुठ गया सजन जो नदिया पार। कैसे मनाऊँ रुठ गया सजन जो नदिया पार।
यही मेरी बस प्यास है ! यही मेरी बस प्यास है !
फिर ना देखा उसने, कभी भी दर्पण। फिर ना देखा उसने, कभी भी दर्पण।